लक्ष्य गीत
उठें समाज के लिए उठें- उठें,
उठें समाज के लिए उठें- उठें,
जगें स्वराष्ट्र के लिए जागें-जागें
स्वयं सजे वसुंधरा संवार दें -2
हम उठें, उठेगा जग हमारे संग साथियों
हम बढ़ें तो सब बढ़ेंगे अपने आप साथियो
जमीं पे आसमान को उतार दें -2
स्वयं सजे वसुंधरा सँवार दें उठें -2
उदासियों को दूर कर, खुशी को बाँटते चले
गाँव और शहर की दूरियों को पाटते चलें
ज्ञान को प्रचार दें प्रसार दें
विज्ञान को प्रचार दें प्रसार दें
स्वयं सजे वसुंधरा सँवार दें-2
समर्थ बाल वृद्ध और नारियां रहे सदा
हरे भरे वनों की शाल ओढ़ती रहे धरा
तरक्कियो की एक नई कतार दें
स्वयं सजे वसुंधरा संवार दें-2
ये जाति धर्म बोलियाँ बने न शूल राह की
बढाएँ बेल प्रेम की अखंडता की चाह की
भावना से ये चमन निखार दें
सद्धभावना से ये चमन निखार दें
स्वयं सजे वसुंधरा सँवार दें -2
उठें समाज के लिए उठें-उठें
उठें समाज के लिए उठें-उठें
जगे स्वराष्ट्र के लिए जगें-जगें
स्वयं सजे वसुंधरा सँवार दें -2
नौजवान आओ रे
नौजवान आओ रे, नौजवान गाओ रे।
लो कदम मिलाओ रे, लो कदम बढ़ाओ रे ॥
नौजवान................
ऐ वतन के नौजवान, इस चमन के बागवान।
एक साथ बढ़ चलो, मुश्किलों से लड़ चलो ॥
इस महान देश को नया बनाओं रे ॥
नौजवान……….....
धर्म की दुहाइयाँ, प्रांत की जुदाइयाँ।
भाषा की लड़ाईयाँ, पाट दो ये खाईयाँ ॥
एक माँ के लाल सब, एक निशाँ उड़ाओ रे ॥
नौजवान……………
एक बनो नेक बनो खुद की भाग्यरेख बनो।
सद्गुणो के तुम हो लाल, तुमसे यह जगत निहाल ।
शांति की लिए मशाल, जहाँ को तुम जगाओ रे ॥
नौजवान…………….
माँ निहारती तुम्हें, माँ पुकारती तुम्हें।
श्रम के गीत गाते जाओ, हंसते मुस्कुराते जाओ।
कोटि कोटि कंठ मिल, एकता के गान गाओ रे।
नौजवान………………
- बालकवि बैरागी